सोमवार, 5 जुलाई 2010

'कविता कोसी' की शुरुआत

कोसी अंचल का का यह दुर्भाग्‍य है कि कथा विधा में कुछेक नामों को छोड़ दें तो प्राय: रचनाकारों की उनकी रचनाशीलता के अनुरूप समुचित और व्‍यापक पहचान नहीं बन पाई है। समूचे परिदृश्‍य पर विचार करें तो स्‍पष्‍टत: यह बात सामने आती है कि यह स्थिति इसलिए नहीं कि हमारे रचनाकार स्‍तरीय अथवा मुख्‍यधारा के अनुरूप लेखन नहीं करते, बल्कि इसलिए है कि उनकी रचनाऍं या तो प्रकाशित नहीं हो पातीं या द्वितीयक श्रेणी की पत्रिकाओं में प्रकाशित होती हैं। यदि कुछेक रचनाकारों के संग्रह भी आ गए हैं अथवा वे प्रथम श्रेणी की पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुए हैं, तो भी नैरंतर्य तथा समुचित मूल्‍यांकन के अभाव में राष्‍ट्रीय स्‍तर पर वे रेखांकित नहीं हो पा रहे हैं। यह स्थिति न केवल उद्वेलित करती है, वरन बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है।
ऐसी स्थिति में कोसी अंचल की कविता के प्रातिनिधिक स्‍वरूप को सामने लाने के लिए ठोस तथा संदर्भ-ग्रंथ-सदृश प्रकाशनों को संभव करना जरूरी है-ऐसे ग्रंथ जो न केवल अंचल के कवियों की प्रतिनिधि रचनाओं को अपने में समाहित करते हों, बल्कि उन रचनाओं की विश्‍लेषणात्‍मक समीक्षा करनेवाले आलेखों को भी। इस दिशा में काफी सोच-विचार के बाद रचनाकारों के पारस्‍परिक सहयोग पर आधारित योजना के अंतर्गत 'कविता कोसी' नामक पुस्‍तक शृंखला प्रकाशित करने की जो योजना सामने आई, उसके अंतर्गत पुस्‍तक के पॉंच खंड भारतीय राष्‍ट्रीय संस्‍थान साहित्‍य अकादेमी, नई दिल्‍ली में कार्यरत कोसी अंचल के युवा कवि-आलोचक श्री देवेन्‍द्र कुमार देवेश के संपादन में प्रकाशित किए जा चुके हैं।
पुस्‍तक शृंखला के उक्‍त पॉंचों खंडों पर डॉ. वरुण कुमार तिवारी की विस्‍तृत समीक्षा 'कविता कोसी : कोसी अंचल की साहित्यिक विरासत' शीर्षक से हिन्‍दी की प्रतिष्ठित पत्रिका 'अलाव' (संपादक : श्री रामकुमार कृषक) के जनवरी-फरवरी, 2010 के अंक में प्रकाशित हुई है।
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kavitakosi@yahoo.co.in

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