शनिवार, 17 जुलाई 2010

कविता कोसी : द्वितीय खंड

कविता कोसी का द्वितीय खंड 2007 ई. में प्रकाशित हुआ। पिछले खंड की भॉंति ही इसमें कोसी अंचल के सात समकालीन कवियों की प्रतिनिधि कविताऍं शामिल की गई हैं, जिन पर डॉ. कामेश्‍वर पंकज द्वारा लिखित समीक्षात्‍मक आलेख भी है। इस खंड में शामिल कवियों के नाम हैं : कैलास विहारी सहाय, अमोघ नारायण झा अमोघ, रमेशचंद्र वर्मा, जोगेश्‍वर जख्‍मी, विद्यानारायण ठाकुर, हरिशंकर श्रीवास्‍तव 'शलभ' और भोला पंडित 'प्रणयी'। इस खंड में संपादक देवेन्‍द्र कुमार देवेश द्वारा कोसी नदी के पुराणशास्‍त्रीय और लोकसाहित्‍य संदर्भों पर संपादकीय लिखा गया है। साथ ही पॉंच कोसी गीत तथा कोसी नदी पर नंदकिशोर लाल 'नंदन' (निष्‍ठुर कोसी माय), रामकृष्‍ण झा 'किसुन' (कोसीक बाढि़), नारायण प्रसाद वर्मा (सुकुमार नदी), सुरेन्‍द्र स्निग्‍ध (कोसी का कौमार्य) और रमेश (कोसी-गाथा) द्वारा लिखित हिन्‍दी एवं मैथिली कविताओं को भी प्रकाशित किया गया है।

मंगलवार, 6 जुलाई 2010

कविता कोसी : प्रथम खंड


कविता कोसी का प्रथम खंड 2007 में प्रकाशित हुआ। इसके संपादकीय में श्री देवेन्‍द्र कुमार देवेश ने कोसी अंचल का परिसीमन करते हुए कोसी नदी के भौगोलिक, पौराणिक, ऐतिहासिक संदर्भ प्रस्‍तुत करते हुए सिद्ध सरहपा को कोसी अंचल का प्रथम कवि स्‍थापित किया। इस खंड में सरहपा सहित विनयश्री, सोनकवि, हेमकवि, कृष्‍णकवि, कृष्‍णा‍कवि और ऋतुराज कवि--कुल सात पूर्वकालीन कवियों की कविताऍं और उनके परिचय प्रस्‍तुत किए गए हैं।
इस खंड में हिन्‍दी के सात समकालीन कवियों की कविताऍं शामिल की गई हैं, जिन पर डॉ. कामेश्‍वर पंकज का समीक्षात्‍मक आलेख भी प्रकाशित है। कवियों के नाम हैं--श्री रिपुदमन झा 'देहाती', श्रीमती मंजु वात्‍स्‍यायन, श्री सुरेन्‍द्र स्निग्‍ध, श्री ध्रुवनारायण सिंह 'राई', श्रीमती शांति यादव, श्रीमती उत्तिमा केशरी और श्री हरिकिशोर चतुर्वेदी।

सोमवार, 5 जुलाई 2010

'कविता कोसी' की शुरुआत

कोसी अंचल का का यह दुर्भाग्‍य है कि कथा विधा में कुछेक नामों को छोड़ दें तो प्राय: रचनाकारों की उनकी रचनाशीलता के अनुरूप समुचित और व्‍यापक पहचान नहीं बन पाई है। समूचे परिदृश्‍य पर विचार करें तो स्‍पष्‍टत: यह बात सामने आती है कि यह स्थिति इसलिए नहीं कि हमारे रचनाकार स्‍तरीय अथवा मुख्‍यधारा के अनुरूप लेखन नहीं करते, बल्कि इसलिए है कि उनकी रचनाऍं या तो प्रकाशित नहीं हो पातीं या द्वितीयक श्रेणी की पत्रिकाओं में प्रकाशित होती हैं। यदि कुछेक रचनाकारों के संग्रह भी आ गए हैं अथवा वे प्रथम श्रेणी की पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुए हैं, तो भी नैरंतर्य तथा समुचित मूल्‍यांकन के अभाव में राष्‍ट्रीय स्‍तर पर वे रेखांकित नहीं हो पा रहे हैं। यह स्थिति न केवल उद्वेलित करती है, वरन बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है।
ऐसी स्थिति में कोसी अंचल की कविता के प्रातिनिधिक स्‍वरूप को सामने लाने के लिए ठोस तथा संदर्भ-ग्रंथ-सदृश प्रकाशनों को संभव करना जरूरी है-ऐसे ग्रंथ जो न केवल अंचल के कवियों की प्रतिनिधि रचनाओं को अपने में समाहित करते हों, बल्कि उन रचनाओं की विश्‍लेषणात्‍मक समीक्षा करनेवाले आलेखों को भी। इस दिशा में काफी सोच-विचार के बाद रचनाकारों के पारस्‍परिक सहयोग पर आधारित योजना के अंतर्गत 'कविता कोसी' नामक पुस्‍तक शृंखला प्रकाशित करने की जो योजना सामने आई, उसके अंतर्गत पुस्‍तक के पॉंच खंड भारतीय राष्‍ट्रीय संस्‍थान साहित्‍य अकादेमी, नई दिल्‍ली में कार्यरत कोसी अंचल के युवा कवि-आलोचक श्री देवेन्‍द्र कुमार देवेश के संपादन में प्रकाशित किए जा चुके हैं।
पुस्‍तक शृंखला के उक्‍त पॉंचों खंडों पर डॉ. वरुण कुमार तिवारी की विस्‍तृत समीक्षा 'कविता कोसी : कोसी अंचल की साहित्यिक विरासत' शीर्षक से हिन्‍दी की प्रतिष्ठित पत्रिका 'अलाव' (संपादक : श्री रामकुमार कृषक) के जनवरी-फरवरी, 2010 के अंक में प्रकाशित हुई है।
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